Friday, October 18, 2019

स्टेंट जैसी डिवाइस में खराबी से मौत पर उम्रकैद की जगह सिर्फ 3 साल तक की सजा का प्रस्ताव

नई दिल्ली (पवन कुमार).देश में स्टेंट, हार्ट वॉल्व, घुटना, हिप जैसे मेडिकल डिवाइस के कारोबार और मरीजों के हितों को लेकर नया कानून बनाने की तैयारी है। नीति आयोग ने इस नए कानून मेडिकल डिवाइसेज (सेफ्टी, इफेक्टिवनेस एंड इनोवेशन) बिल-2019 का ड्राफ्ट तैयार किया है। मौजूदा कानून में इम्प्लांट की खराबी से अपंगता या मरीज की मौत पर दोषी को उम्रकैद तक की सजा का प्रावधान है।

नए मसौदे में इसी अपराध के लिए अधिकतम तीन साल तक की सजा का प्रस्ताव रखा गया है। न्यूनतम सजा का जिक्र नहीं है।ऐसे में दोषी जुर्माना देकर भी बच सकता है। इस ड्राफ्ट पर फिलहाल आंतरिक चर्चा के लिए स्वास्थ्य मंत्रालय से राय मांगी गई है। जल्द ही इस ड्राफ्ट को लेकर नीति आयोग के अफसरों और विशेषज्ञों की अहम बैठक होगी।

फाइनल ड्राफ्ट स्वास्थ्य मंत्रालय को भेजा जाएगा

आयोग सभी सिफारिशों के अनुरूप संशोधन करने के बाद फाइनल ड्राफ्ट स्वास्थ्य मंत्रालय को भेजेगा। कैबिनेट की मंजूरी के बाद इसे संसद में पेश किया जाएगा।स्वास्थ्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक नया कानून बनने पर मरीजों को भी लाभ मिलेगा। डिवाइस कारोबार में प्रतिस्पर्धा बढ़ने से इनकी कीमतें घट सकती हैं।

मेडिकल डिवाइस को चार श्रेणी ए, बी, सी और डी में बांटा गया
नए ड्राफ्ट के मुताबिक मेडिकल डिवाइस का कारोबार करने के लिए अब लाइसेंस लेने की जरूरत नहीं पड़ेगी। सिर्फ सर्टिफिकेट लेकर कारोबार किया जा सकेगा। मेडिकल डिवाइस को चार श्रेणी ए, बी, सी और डी में बांटा गया है। मेडिकल डिवाइसेज एडमिनिस्ट्रेशन की ओर से नोटिफाई की गई संस्था कानून में तय नियम और शर्तों के अनुसार सर्टिफिकेट देगी। मेडिकल डिवाइसेज को बाजार में लाने से पहले कंपनियों को अपने प्रोडक्ट को मेडिकल डिवाइस के नेशनल रजिस्टर में पंजीकृत कराना होगा। कम रिस्क वाली सामग्री जैसे रुई-पट्‌टी आदि को ए श्रेणी में रखा गया है। इसके लिए सर्टिफिकेट की भी जरूरत नहीं पड़ेगी। सिर्फ स्व प्रमाणित घोषणा पत्र दाखिल करना होगा। उल्लेखनीय है कि देश में मेडिकल डिवाइस का सालाना कारोबार करीब 40 हजार करोड़ रुपए का है।


डिवाइस खराब मिली तो कंपनी बाजार से वापस लेगी
डिवाइस को लेकर यदि मरीज या डॉक्टरों की तरफ से शिकायत मिलती है, तो गड़बड़ी की जांच विशेष समिति करेगी। यदि समिति की जांच में डिवाइस में गड़बड़ी साबित हुई तो उस कंपनी को मार्केट से अपने सभी डिवाइस को वापस लेना होगा। इस ड्राफ्ट में डिवाइस की खराबी से प्रभावित मरीजों को मुआवजा भी मिलेगा। हालांकि मुआवजे की राशि तय करने की प्रक्रिया अभी चल रही है।

DBApp



Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
प्रतीकात्मक फोटो।


from Dainik Bhaskar https://ift.tt/33B3uhu
via IFTTT

Related Posts:

0 comments:

Post a Comment

Blog Archive

Web Resource

Total Pageviews

265,099
Copyright Design jitu it's222. Powered by Blogger.

Text Widget