Wednesday, October 2, 2019

गांधीजी के प्रपोत्र विवान और कस्तूरी ने कहा- मन खुला हो तभी समझ सकते हैं कि क्या थे बापू?

डीबी ओरिजिनल डेस्क. 2 अक्टूबर को देश महात्मा गांधी की 150वीं जयंती मना रहा है। बापू ने जो सिद्धांत दिए, जो बातें कहीं, वे आज भी उतनी ही प्रासंगिक लगती हैं, जितनी पहले थीं।150वीं जयंती के मौके पर हमने बापू के परिवार के दो युवा सदस्यों बापू के पड़पोते विवान गांधी और कस्तूरी गांधी से बात की और जाना कि मौजूदा दौर में उनकी सोच क्या है। विवान इन दिनों लंदन में लॉ की पढ़ाई कर रहे हैं। कस्तूरी मुंबई सेंट जेवियर्स कॉलेज से पब्लिक पॉलिसी में मास्टर्स कर रही हैं। पेश है बातचीत के प्रमुख अंश। इसके साथ ही बापू के वंश के बारे में भी जानिए।


सत्य, अहिंसा और सविनय अवज्ञा आज भी सबसे बड़ा हथियार : कस्तूरी

  • आज युवा पीढ़ी के पास सूचना का उपहार है और इसलिए बापू और दूसरे बुद्धिजीवियों के कार्यों को समझना और उनके बारे में पढ़ना बहुत आसान है। इसमें प्रशंसा और आलोचना दोनों शामिल हैं, जैसा बापूजी हमेशा चाहते थे। मुझे लगता है कि यदि बापूजी का अनुकरण किया जाना है तो यह खुलेपन और विनम्रता की भावना के साथ होना चाहिए।
  • यह जरूरी है कि बापूजी और उनके जैसे दूसरे महान नेताओं ने जो बताईं कहीं हैं, जैसे वो जिएं हैं, उनके बारे में युवा पीढ़ी को बताया जाए। इससे शायद ईमानदारी और उदारता के कुछ सिद्धांत वापस जाएंगे। मुझे ये भी लगता है कि हमारे सीखने के लिए बापूजी का दर्शन आज भी पूरी तरह से प्रासंगिक है और दुनियाभर के आंदोलनों में अच्छी तरह से जीवंत है।

दुनिया के आंदोलनों में देखने को मिलती है बापू की झलक

  • चाहे ग्रेटा थनबर्ग और दुनिया के सभी युवा जलवायु कार्यकर्ताओं के शांतिपूर्ण, धैर्यवान और अद्भुतप्रयास हों या फिर लोकतंत्र के अधिकार के लिए सूडान के नागरिकों का आंदोलन हो या हमारे अपने इतिहास का चिपको आंदोलन हो, मेरे ख्याल से बापू और सविनय अवज्ञा का सिद्धांत, गलत सरकार के साथ असहयोग, अहिंसा और सत्य आज भी हमारी पीढ़ी के लिए जीवित और सुलभ हैं। ये चीजें मुझे प्रेरणा देती हैं। मैं राजनीति में नहीं आना चाहती। मुझे नीति अध्ययन और नीति निर्माण में रुचि है।

महात्मा गांधी की प्रपौत्री।

  • बापू एक ऐसे नेता थे, जिन्होंने सहानुभूति और गहन अंतर्दर्शन के लिए काम किया। मौजूदा दौर में नेतृत्व में ऐसी प्रमाणिकता मौजूद नहीं है या संभव भी नहीं है। उदाहरण के लिए, जैसे बापूजी हमेशा से अपने विरोधियों से खुला संवाद करने में यकीन रखते थे। जबकि आज हमारे सबसे शक्तिशाली नेता असहमति को बर्दाश्त भी नहीं कर सकते। जो उनसे असहमति रखता है, उसे राष्ट्रविरोधी करार दे दिया जाता है।
  • मेरे विचार में आज का नेतृत्व शक्ति और लोकप्रियता का अधिक है। जबकि बापूजी का नेतृत्व और जिंदगी ईमानदारी से भरा हुआ था। मेरे ख्याल से बहुत सारे दबाव वाले मुद्दे ही आपके प्रश्नों का जवाब हैं। चाहे कश्मीर के नागरिकों का पूर्ण अलगाव हो या हमारे जंगलों और नदियों का विनाश। या स्वदेशी समुदाय जो विकास के लिए उन पर भरोसा करता है। आज न हमारे नेताओं में बापू की तरह खुद के कार्यों के प्रति जवाबदेही लेने का साहस है और न ही फॉलोअर्स के गलत करने पर उन्हें सही दिशा दिखाने की आवाज।

अपने दादा अरुण गांधी और पिता तुषार गांधी के साथ कस्तूरी गांधी।

  • ऑनलाइन पॉलिटिकल ट्रोल्स लगातार दुर्व्यवहार करते हैं और घृणा अभियान को फैलाते हैं, जबकि इसकी कोई ठोस वजह नहीं होती। ऐसा लगता है मानो करुणा, उदारता और शालीनता की भाषा अब बोली ही नहीं जाती, जबकि इन मूल्यों का हमारे स्वतंत्रता आंदोलन में बहुत अहम योगदान रहा है। आज के विकास में विवेक नहीं है, यहीं गांधीवादी नेतृत्व की बहुत जरूरत है।
  • मौजूदा दौर में बापूजी की फोटो और नाम का इस्तेमाल हर दूसरे अभियान में किया जाता है लेकिन उनके सच्चे सिद्धांतों को नहीं माना जाता।

हम प्रश्न पूछने, अपनी असहमति जताने का पूरा हक : विवान

  • मेरे दादाजी (अरुण गांधी) ने बापू के साथ काफी समय बिताया है। बचपन से हमें दादा 'बापू' के व्यक्तित्व के बारे में बहुत कुछ बताते आए हैं। जैसे, हमारे घर में शुरू से ही प्रश्न पूछने की आजादी है। कुछ समझ नहीं आने पर हम प्रश्न पूछते हैं। फिर उस पर दादा, पापा के साथ चर्चा होती है। हमें सही लगता है तो हम उस चीज से सहमत होते हैं, नहीं लगता तो नहीं होते।
  • आज देश में गांधीजी के सिद्धांतों के बारे में पढ़ाया तो जाता है, लेकिन उन्हें जिंदगी में उतारने का काम कितने लोग कर रहे हैं, ये सोचने वाली बात है। जैसे बापू जो भी बात कहते थे, उसे पहले खुद अपने जीवन में आजमाते थे। वे खुद जब किसी बात का पालन कर पाते थे, तभी उसे दूसरों को फॉलो करने के लिए कहते थे। जैसे वे कहते थे कि, जो भी आपके पास है उसकी अहमियत समझो। पेंसिल छोटी हो गई है तो उसे फेंकों मत, बल्कि पूरी तरह से इस्तेमाल करो।

महात्मा गांधी के प्रपौत्र।

  • मैंने बापू के सिद्धांतों से ही यह सीखा है कि जितनी जरूरत हो, उतना ही अपने पास रखो, क्योंकि हो सकता है कि जो चीज आपके पास जरूरत से ज्यादा हो, वो किसी ओर के पास हो ही न।लोकतंत्र में हर किसी को आलोचना करने का अधिकार है। जैसे हम बापू को पूजते हैं, वैसे ही कई लोग उनका विरोध भी करते हैं। विरोधी हमारे दुश्मन नहीं हैं लेकिन मैं विरोध का कारण जरूर जानना चाहता हूं। भविष्य में राजनीति में आने के सवाल पर वे कहते हैं कि, मैं अपने आप को राजनीति में फिट नहीं पाता।
  • सामाजिक कार्यों के जरिए देश की सेवा करना चाहता हूं। विवान के मुताबिक, वे एक एनजीओ के साथ जुड़कर गरीबी के खिलाफ काम कर रहे हैं लेकिन अभी पढ़ाई के चलते यह काम थोड़ा रुक गया है।

परिवार के साथ विवान गांधी।

  • पढ़ाई पूरी होने के बाद फिर इसे आगे बढ़ाने की योजना है। देश के मौजूदा सिनेरियो पर वे कहते हैं कि, कोई आपकी आलोचना करे, इसका मतलब ये नहीं होता कि वो राष्ट्रविरोधी है। लोकतंत्र में विरोध करने का अधिकार हर किसी को है और इसका सम्मान होना चाहिए।

जानिए बापू के परिवार के बारे में

महात्मा गांधी का वंश-वृक्ष।

  • बापू अपने परिवार में सबसे छोटे थे। उनकी एक बड़ी बहन रलियत और दो बड़े भाई लक्ष्मीदास और कृष्णदास थे। साथ ही दो भाभियां नंद कुंवरबेन, गंगा भी थीं।
  • गांधी जी के परिवार में 4 बेटे और 13 पोते-पोतियां हैं।
  • गांधीजी के परिवार की बात करें तो उनके पोते-पोतियां और उनके 154 वंशज आज 6 देशों में रह रहे हैं।
  • इनमें 12 चिकित्सक, 12 प्रोफेसर, 5 इंजीनियर, 4 वकील, 3 पत्रकार, 2 आईएएस, 1 वैज्ञानिक, 1 चार्टड एकाउंटेंट, 5 निजी कंपनियों मे अच्छे पदों पर काम कर रहे हैं। साथ ही इस परिवार में 4 पीएचडी धारक भी हैं।
  • परिवार में लड़कों की तुलना में लड़कियों की संख्या ज्यादा है।
  • गांधीजी के वंशज आज भारत, दक्षिण अफ्रीका, इंग्लैंड, कनाडा, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया में हैं।
  • महात्मा गांधी की बेटी नहीं थी इस बात का उन्हें अफसोस भी रहा। लेकिन उनकी पीढ़ी में बेटों से ज्यादा बेटियों की संख्या है।

महात्मा गांधी का परिवार: गांधीजी और कस्तूरबा के चार बेटे

गांधीजी के चारों बेटे और कस्तूरबा।

  • हरिलाल (परिवार में 68 सदस्य)
  • मणिलाल (परिवार में 39 सदस्य)
  • रामदास (परिवार में 19 सदस्य)
  • देवदास (परिवार में 28 सदस्य)


सबसे बड़े बेटे हरिलाल

गांधीजी के बड़े बेटे हरिलाल गांधी।



हरिलाल की शादी गुलाबबेन से हुई, इनकी तीन बेटे-बेटियां थीं, जिसमें दो बेटियां.. रमीबेन, मनोरमा और एक बेटा कांतिलाल है।

बड़े बेटों का परिवार

बेटी रमीबेन (पति- कुंवरजी पारेख), बेटी : नीलम
बेटी मनोरमा (पति- मशरूवाला) बच्चे : उर्मि, रेणु और बेटा मृणाल
बेटा कांतिलाल (पत्नी- सरस्वती) बच्चे: शांतिकुमार और प्रदीप (दोनों के घर दो-दो बेटियां)।


गांधीजी के दूसरे बेटे मणिलाल (पत्नी- सुशीलाबेन) का परिवार:

गांधीजी के दूसरे बेटे मणिलाल गांधी।


दो बेटियां : सीता (पति: शशिकांत धूपेलिया), इला (पति: रंबोगिन) और बेटा अरुण (पत्नी: सुनंदा)


सीता का परिवार:
सतीश (पत्नी: प्रतिभा) बच्चे : मिशा, शशिका और बेटा कबीर
उमा (पति: राजेन) बच्चे : बेटी सपना
कीर्ति (पति: सुनील मेनन) बच्चे : बेटी सुनीता

इला का परिवार:
केदार, कुश, आशा, आरती और आशीष

अरुणभाई का परिवार:
बेटा तुशार (पत्नी : सोनल) बच्चे: विवान और कस्तूरी
बेटी अर्चना (पति: हरिप्रसाद) बच्चे : पारितोश और अनीस (पारितोश के बच्चों के नाम : एलिजाबेथ और माइकल)

गांधीजी के तीसरे बेटे रामदास (पत्नी: निर्मलाबेन) का परिवार

गांधीजी के तीसरे बेटे रामदास गांधी।

तीन बच्चे : सुमित्रा (पति: गजानन कुलकर्णी) बच्चे : रामचंद्र (पत्नी: जूलिया), श्रीकृष्ण (पत्नी: नीलू), सोनाली (पति: वेंकटेश)
ऊषा (पति: हरीश गोकाणी) बच्चे: आनंद और संजय
कनुभाई (पत्नी: शिवलक्ष्मी)


गांधीजी के चौथे और सबसे छोटे बेटे देवदास (पत्नी: लक्ष्मी) का परिवार:

गांधीजी के सबसे छोटे बेटे देवदास गांधी।


चार संतानें: तारा भट्टाचार्य (पति: ज्योतिप्रसाद): बच्चे - सुकन्या भारतम और विनायक
रामचंद्र (पत्नी: इंदू) बेटी- लीला गांधी
गोपालकृष्ण (पत्नी: तारा) बेटी- अमृता गांधी
राजमोहन (पत्नी: इंदु) बेटी: सुप्रिया गांधी
तारा गांधी के बेटे की तीन बेटिया: इंडिया अनन्या, अनुष्का लक्ष्मी और ऐंड्रा तारा।



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