मुरैना में दिनदहाड़े अवैध रेत की मंडी लग रही, वन अधिकारी के बंगले के सामने रेत का सौदा
मुरैना से लौटकर प्रमोद कुमार त्रिवेदी. मुरैना में अवैध रेत की मंडी खुलेआम लगती है, वह भी दिनदहाड़े। शहर की सड़कों पर रेत से भरे ट्रैक्टर-ट्रॉली को लेकर लोगों के चेहरे पर खौफ साफ देखा जा सकता है। रेत माफियाओं की पुलिस-प्रशासन और वन विभाग को यह खुली चुनौती है, लेकिन जब-जब सरकारी नुमाइंदों ने कार्रवाई की, मात खाई। रेत माफियाओं के हौसले इतने बुलंद हैं कि 20 सितंबर को गुरुवार-शुक्रवार की दरमियानी रात वन विभाग की टीम पर हमला किया गया और सुबह तय समय पर रेत की मंडी भी लगाई। सैकड़ों ट्रैक्टर-ट्रॉली और डंपर सड़कों पर बेखौफ दौड़ते नजर आए। इस मामले में जब आईजी, डीएफओ और एसपी से बात की गई तो सब बेबस नजर आए। कार्रवाई की बात पर रटा-रटाया बयान दिया- ‘प्रयास तो कर रहे हैं।’
घड़ियाल सेन्चुरी के कारण जिस चंबल नदी से रेत का एक दाना निकालना भी गैर-जमानती अपराध हो, वहां अवैध रेत की मंडी लगने की भास्कर ने पड़ताल की तो हकीकत सामने आई। रेत माफियाओं के डर से स्थानीय लोग ही नहीं, पुलिस-प्रशासन भी परेशान है। किसी अधिकारी ने अंकुश लगाने का प्रयास किया तो या तो उसका तबादला हो गया या उस पर हमला हुआ। नतीजा- जो भी अधिकारी मुरैना जाता है, उसके पास खानापूर्ति के अलावा कोई विकल्प नहीं रह जाता।
रेत माफिया कितने बेखौफ, इसके 5 उदाहरण
1) समय : सुबह 4 बजे
जगह : मुरैना का पुराना बस स्टैंड
ट्रैक्टर-ट्रॉली की चपेट से बचने के लिए लोग किनारे चलते हैं
मुरैना में सुबह 4 बजे से हलचल शुरू हो जाती है। मुरैना-श्योपुर हाइवे स्थित पुराने बस स्टैंड पर सुबह 4 बजे से एक-एक करके रेत से भरे ट्रैक्टर-ट्राॅली आना शुरू हो गए। हर ट्रैक्टर-ट्रॉली पर चार लोग सवार थे। वे शहर की मुख्य सड़क से तेजी से निकलते जा रहे थे। ड्राइवर के एक हाथ में मोबाइल, तो दूसरे हाथ में स्टेयरिंग था। यहां के लोगों के लिए यह नजार आम था, इसलिए पुलिस-आर्मी की तैयारी के लिए युवा एक कोने से दौड़ रहे थे। लोगों ने बताया कि हर साल दर्जनभर से ज्यादा लोग इन ट्रैक्टर-ट्रॉली की चपेट में आते हैं। अगर पुलिस पीछा करे तो ये चलती ट्रॉली को रोड पर खाली कर देते हैं या कभी लीवर खींचकर ट्रॉली को ट्रैक्टर से अलग भी कर देते हैं। तेज गति से ट्रैक्टर चलाने के दौरान किसी की जान जाती है तो ये माफिया इसकी परवाह नहीं करते।
2) समय : सुबह 5 बजे
जगह : डीएफओ कार्यालय और आवास, अम्बाह बायपास नेशनल हाइवे-3
डीएफओ बंगले के सामने ही रेत का सौदा
बस स्टैंड के बाद हम अम्बाह बायपास पहुंचे, तो वहां पुलिस की दो गाड़ियां और दर्जनभर पुलिस वाले खड़े थे। हमें लगा कि अब यहां रेत की ट्रॉलियां नहीं आएंगी, लेकिन कुछ ही मिनट में डंपर और ट्रैक्टर-ट्राॅली सामने से दौड़ना शुरू हो गए। इस नेशनल हाइवे से 100 मीटर पर ही डीएफओ कार्यालय और आवास है। लेकिन इन रेत माफियाओं को डीएफओ का डर भी नहीं था। ये डीएफओ बंगले के सामने से ही निकलते गए।
3) समय : सुबह 5.45 बजे
जगह : पॉलीटेक्निक तिराहा, रेलवे फाटक से अम्बाह बायपास रोड
क्रॉसिंग गेट बंद, लगी कतार
इस रोड पर ट्रैक्टर-ट्रॉली के आगे और पीछे मोटरसाइकल सवार चल रहे थे। यहां एक-दूसरे के पीछे तकरीबन 100 ट्रैक्टर-ट्रॉली और 20 डंपर दिखे। रेलवे फाटक पर पहुंचे तो गेट बंद होने से अवैध रेत से भरे ट्रैक्टर-ट्रॉली की कतार लग गई।
4) समय : सुबह 6 बजे से
जगह : बढ़ोखर माता से रामनगर तिराहा
अवैध रेत के 300 वाहनों की कतार
यहां पहुंचे तो सड़क के दोनोंकिनारे पर तकरीबन 300 ट्रैक्टर-ट्रॉली खड़े थे। बढ़ोखर माता से रामनगर तिराहे तक तकरीबन एक किलोमीटर में अवैध रेत की ट्रॉलियों की कतार लगी थी। धीरे-धीरे इस क्षेत्र की दुकानें खुलने लगीं। सुबह 7 बजते-बजते ये बाजार खुल चुका था। कुछ ट्रॉलियों की रेत बिक चुकी थी तो कुछ का सौदा हो रहा था। धीरे-धीरे ट्रॉलियों की तादाद बढ़ने लगी और रेत के डंपर गुजरने का सिलसिला शुरू हो गया। यहां के लोग भी इन ट्रैक्टर-ट्रॉलियों की मंडी से परेशान हैं। दो माह पहले एक लड़की को भी ट्रैक्टर ने चपेट में ले लिया था, लेकिन किसी की हिम्मत नहीं कि इन्हें रोक सके। यहां रहने वाले डॉ. पीके सिंगोरिया बताते हैं कि बीच शहर में अवैध कारोबार हो रहा है। सब परेशान हैं, लेकिन पुलिस-प्रशासन को कुछ नहीं दिखता।
5) समय : दोपहर 3.30 बजे
जगह : कलेक्टोरेट
भाजपा का धरना था, पुलिस फोर्स की मौजूदगी में ट्रैक्टर-ट्रॉलियां सामने से निकल रही थीं
कलेक्टोरेट में भाजपा का धरना-प्रदर्शन था। भारी पुलिस बल तैनात था। लेकिन अवैध रेत से भरे ट्रैक्टर-ट्रॉली कलेक्टोरेट के सामने से खुलेआम निकल रहे थे। धरना स्थल पर मौजूद पूर्व विधायक सत्यपाल सिंह बोले- अब और देखने को क्या बचा है? पुलिस-प्रशासन की हिम्मत नहीं कि अवैध रेत को रोक सके।
मुरैना शहर में रोजाना 1000 ट्रॉली-डंपर की लाइन लगती है
मुरैना जिले में चंबल नदी में उत्खनन होता है। घड़ियाल सेन्चुरी होने से अवैध उत्खनन पर लगाम लगाने का पहला दायित्व फॉरेस्ट डिपार्टमेंट का है, लेकिन बेखौफ माफिया डीएफओ बंगले के पीछे ही अवैध रेत को डंप करते हैं। हमने देखा कि सुबह 4 बजे से शहर में अवैध रेत की ट्रॉलियां और डंपर आना शुरू हो गए। ये फॉरेस्ट बैरियर और पुलिस थाने के सामने से ही शहर में आते गए। इसके बाद मुरैना शहर के बीचों-बीच नेशनल हाईवे-3 पर अवैध रेत की मंडी शुरू हो गई। नेशनल हाइवे नंबर 3 पर बायपास तिराहा, बायपास तिराहे से 100 मीटर पर उद्योग विभाग प्रांगण और बायपास तिराहे से 500 मीटर दूर बैरियर चौराहे पर रेत से लदे ट्रैक्टर-ट्रॉली और डंपर लाइन से खड़े हो गए। इन वाहनों के आसपास रेत माफियाओं के लोग बंदूक टांगकर खुलेआम मोटरसाइकल से घूमते रहे।
हम सिविल लाइन थाना क्षेत्र में आने वाले ग्राम शिकारपुर के रेलवे फाटक पर पहुंचे तो वहां भी रेत की ट्रॉलियों की लाइन लगी थी। स्थानीय लोगों के लिए यह आम बात है। रेत को लेकर कोई बात नहीं करता है। एक अनजान-सा खौफ लोगों के चेहरे पर दिखता है। लोगों का कहना है कि जब ये लोग कलेक्टर को मार सकते हैं, पुलिस पर गोलियां चला सकते हैं तो हम क्या कर सकते हैं। सुबह 7 बजे तक ये वाहन उत्तरप्रदेश और राजस्थान के शहरों की तरफ जाने लगे। सरायछोला थाने के सामने से रेत के वाहन उत्तरप्रदेश के आगरा की तरफ चले जाते हैं।
रात 2 बजे वन विभाग की टीम पर हमला, सुबह 4 बजे शहर में रेत की मंडी लगा ली
अमूमन पुलिस या प्रशासन पर हमला नहीं होता, लेकिन कोई हमला कर भी दे तो माफिया से जुड़े लोग फरार हो जाते हैं। मुरैना रेत माफियाओं के हौसले इतने बुलंद हैं कि ये अपने क्षेत्र में हमला करने के बाद भी खुलेआम शहर में आकर रेत बेचते हैं। गुरुवार-शुक्रवार की रात धौलपुर के पास वन विभाग के भारी भरकम अमले ने अवैध रेत रोकने का प्रयास किया तो रेत माफियाओं ने हमला कर दिया। वन विभाग के भी कई लोग घायल हुए, लेकिन रेत माफियाओं को इससे कोई फर्क नहीं पड़ा। वे निर्धारित समय पर मुरैना शहर आए और रेत मंडी लगाई।
डर से हुई तीन राज्यों के अधिकारियों की बैठक, निर्णय हुआ- अपने क्षेत्र में पकड़ लिया करो; नतीजा सिफर
जब क्षेत्र के मंत्री-नेताओं ने पुलिस-प्रशासन पर अवैध रेत परिवहन का आरोप लगाया तो प्रशासन ने आनन-फानन में राजस्थान और उत्तरप्रदेश के पुलिस अधिकारियों के साथ बैठक की। पुलिस सूत्रों के मुताबिक मुरैना में हुई बैठक में निर्णय हुआ कि मध्यप्रदेश में इन माफियाओं को नहीं पकड़ पा रहे हैं। राजनीतिक दबाव भी है और माफिया हमला भी कर देते हैं। मध्यप्रदेश से बाहर दूसरे राज्याें की पुलिस इन्हें पकड़ लिया करे। उत्तरप्रदेश या राजस्थान की सीमा में कार्रवाई आसान होगी। लेकिन नतीजा बैठक तक ही सीमित रहा। रेत माफियाओं के रुपयों के दम के आगे उत्तरप्रदेश-राजस्थान पुलिस भी कमजोर साबित हुई। दूसरे राज्यों में पिछले 15 दिनों में केवल 9 डंपरों पर कार्रवाई हुई है। सूत्रों के मुताबिक, ये ऐसे डंपर हैं, जो पुलिस की अवैध लिस्ट से मिलान नहीं खा रहे थे।
दो महीने पहले छात्रा को कुचला था, पुलिस वाले भी साइड में हटकर खुद को बचाते हैं
22 जुलाई को सुबह 7 बजे स्कूल जा रही छात्रा को अवैध रेत के ट्रैक्टर ने कुचल दिया था। मुरैना की यह पहली घटना नहीं है। हर साल दर्जनों दुर्घटनाओं के जिम्मेदार रेत माफियाओं के ट्रैक्टर हैं। कई बार पुलिस से बचने के लिए तो कई बार ज्यादा से ज्यादा ट्रिप लगाने के लिए ये शहर के लोगों की जान के दुश्मन बन जाते हैं। छात्रा के पिता रामनरेश कहते हैं कि बेटी को रेत माफियाओं ने मार दिया, लेकिन इनका खौफ कम नहीं हुआ। बच्चे जब तक घर वापस नहीं आ जाते, तब तक अनहोनी की आशंका बनी रहती है। रेत माफियाओं का आतंक ऐसा है कि वे ट्रैक्टर-ट्रॉली दौड़ाते हैं और पुलिस प्रशासन के लोग साइड में होकर अपनी जान बचाते हैं।
पूर्व विधायक ने कहा- सीबीआई जांच कराएं तो सत्तापक्ष बेनकाब हो जाएगा
सुमावली के पूर्व भाजपा विधायक सत्यपाल सिंह सिकरवार कहते हैं- मुरैना में खुलेआम अवैध रेत का कारोबार हो रहा है। पुलिस-प्रशासन बेबस तमाशा देख रहा है। सबकी मिलीभगत से करोड़ों रुपए की रेत का कारोबार होता है। सुमावली के मौजूदा विधायक तो बैठक करके अपने भतीजे को इस काम के लिए दिशा-निर्देश देते हैं। जब जनप्रतिनिधि ही मिले हुए हैं तो कैसे अवैध उत्खनन रुकेगा? ये माफिया लोगों को कुचलकर मार रहे हैं। अगर सरकार उत्खनन रोकना चाहती है तो सीबीआई जांच कराना चाहिए। सब बेनकाब हो जाएंगें।
आईजी ने कहा- सीसीटीवी का प्रस्ताव भेजा है
चंबल संभाग के आईजी डीपी गुप्ता कहते हैं- हम पूरा प्रयास कर रहे हैं। हमने 20 पाइंट चिह्नित किए हैं। इन पर सीसीटीवी लगवाने का प्रस्ताव पुलिस हेडक्वार्टर को भेजा है। सीसीटीवी में हम देख सकेंगे कि रेत का अवैध परिवहन कौन कर रहा है। समाज की मानसिकता बदलना भी जरूरी है।
डीएफओ ने माना- माफिया को रोकना मुश्किल
मुरैना के डीएफओ पीडी गेब्रियल कहते हैं कि हमारी पूरी फोर्स देवरी वाले चौक पर लगी है। हमें ग्रुप में 40-50 की संख्या में जाना होता है। रात में ही धौलपुर रोड पर हमारी टीम पर हमला कर दिया गया। हमारी गाड़ियां फोड़ दी गईं। इनका राजपुर रोड पर तो और ज्यादा प्रभाव है। जैसे-जैसे दिन निकलता है, इन्हें रोकना मुश्किल होता है, क्योंकि ये लोगों को नुकसान पहुंचाते हैं। स्कूल के बच्चे भी रोड पर होते हैं तो कार्रवाई करना बहुत मुश्किल हो जाता है।
एसपी का दावा- कार्रवाई करते हैं
मुरैना के एसपी असित यादव कहते हैं कि समय-समय पर कार्रवाई होती है। वन विभाग को भी इसे रोकने के लिए कंपनी मिली हुई है। वे जब हमसे बल मांगते हैं, हम बल उपलब्ध करवाते हैं।
स्थानीय लोगों ने कहा- कई बार शिकायत की, लेकिन सब डरते हैं
- मुरैना के निवासी प्रदीप दंडोतिया बताते हैं कि रेत माफियाओं से तो पुलिस भी घबराती है। हम एसपी-कलेक्टर को भी कई बार फोन लगा चुके, लेकिन कोई नहीं आता है। सुबह 6 बजे से लेकर दोपहर बाद तक तकरीबन 500 ट्रैक्टर-ट्रॉली की लाइन लगती है। बच्चे तो सड़क पर निकल ही नहीं पाते, स्कूल बसें इनके जाम में फंसी रहती हैं। पुलिस आती भी है तो ये लोग हमला करके भगा देते हैं।
- मुरैना के मढ़ोखर के रहने वाले पीके सिंगोरिया कहते हैं कि रेत माफिया खुलेआम मंडी लगाते हैं। हमारा घर से निकलना भी मुश्किल है। ट्रॉली हटाने को कहो तो लड़ने को तैयार हो जाते हैं। शिकायत करो तो कोई सुनता नहीं है। कई लोगों को कुचलकर ये लोग मार चुके हैं।
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