Sunday, September 29, 2019

मिलावट का कहर: मध्यप्रदेश में 2 महीने में दूध के 1400 में से 700 सैम्पल फेल

प्रमोद कुमार त्रिवेदी (भोपाल). मध्यप्रदेश के आधे जिलों में मिलावटी दूध का कारोबार चल रहा है। हर दूसरी दुकान पर दूध और दूध से बने मिलावटी पदार्थ मिल रहे हैं। खाद्य सुरक्षा और नियंत्रक के दो माह के आंकड़ों से जाहिर है कि मिलावटखोरी पूरे प्रदेश मेंजारी है। भिंड, मुरैना और उज्जैन में कई क्विंटल मिलावटी दूध, घी, मावा, पनीर पकड़ाया तो स्वास्थ्य विभाग ने प्रदेशभर में छापे की कार्रवाई करते हुए दुकानों से सैम्पल लिए। दो महीने में 5 हजार से ज्यादा सैम्पल लिए गए। इनमें 1409 सैम्पल के लैब से आए रिजल्ट चौंकाने वाले थे। इनमें से 700 फेल हो गए।


मामले फास्टट्रैक कोर्ट में ले जाने की तैयारी
मध्यप्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री तुलसी सिलावट का कहना है कि ये आंकड़े बताते हैं कि मिलावटी सामान पिछले कई सालों से बिक रहा था। अब कार्रवाई हुई और ईमानदारी से लैब में जांच हुई तो मिलावटखोरों पर नकेल कस पा रहे हैं। देश में पहली बार मिलावटखोरों पर रासुका लगाई गई है। अब इन केसों को फास्टट्रैक कोर्ट में ले जाएंगे। कानून में बदलाव करने का भी प्रस्ताव तैयार किया है। जो मिलावटी सामान बनाएगा या बेचेगा, उसके लिए आजीवन कारावास की सजा का प्रावधान कर रहे हैं।


चंबल, ग्वालियर, मालवा में मिलावटी दूध का बड़े पैमाने पर कारोबार
भास्कर ने मध्यप्रदेश में डेयरी उद्योग में मिलावट के कारोबार की पड़ताल की। तथ्यों से खुलासा हुआ कि चंबल, ग्वालियर, मालवा में मिलावटी दूध और उससे बने सामानों का कारोबार बड़े पैमाने पर चल रहा है। जब कार्रवाई हुई तो प्रदेश के कुछ बड़े शहरों में चल रहे इस कारोबार का भी खुलासा हुआ। मिलावटी दूध-मिठाई-घी बनाने वाले खजुराहो, खंडवा, बुरहानपुर, भोपाल, सतना, पन्ना, धार, नीमच, सिंगरौली, सिवनी, रायसेन, विदिशा, मुरैना में भी पकड़े गए। इनमें से ज्यादातर लोग रासुका लगने की जानकारी लगते ही फरार हो गए। प्रदेश में केवल मिलावटी दूध के कारोबार में ही 2.75 करोड़ रुपए रोज की भारी कमाई के कारण मिलावट का धंधा खूब फल-फूल रहा है।


मुरैना में 4.5 लाख उत्पादन, लेकिन 9 लाख लीटर दूध की सप्लाई
चंबल संभाग के मुरैना में दुधारू पशुओं की संख्या 2 लाख 30 हजार है। यहां इन पशुओं से दूध का उत्पादन 4.5 लाख लीटर का है, लेकिन स्वास्थ्य विभाग की जांच में सामने आया कि यहां से 9 लाख लीटर दूध की सप्लाई होती है। खास बात यह कि यहां 10 से ज्यादा चिलर प्लांट हैं, जो गांव वालों से तो 35 से 45 रुपए लीटर तक दूध लेते हैं, लेकिन उत्तर प्रदेश में इसी दूध को 40 रुपए लीटर में भी बेच देते हैं। ये 5 रुपए लीटर का नुकसान नहीं उठाते, बल्कि मिलावटी दूध बनाकर 25 रुपए लीटर का फायदा उठाते हैं। मुरैना के दूध का सबसे बड़ा सौदागर आगरा में है, जो भोले के नाम का दूध प्लांट चलाता है। वह मुरैना से रोजाना 8 लाख लीटर तक मिलावटी दूध लेता है। इसके अलावा नोएडा, मेरठ और इसके आसपास के शहरों में इस मिलावटी दूध की सप्लाई होती है।


भिंड में 2 लाख लीटर मिलावटी दूध
मध्यप्रदेश का चंबल संभाग मिलावटी दूध की मंडी बन गया है। इस संभाग के भिंड जिले के 80 से ज्यादा गांवों में रोजाना 2 लाख लीटर मिलावटी दूध तैयार किया जाता है, जो मिश्रित दूध के नाम पर जिले से बाहर खपाने के लिए भेजा जाता है। वहीं, उज्जैन संभाग में एक लाख लीटर मिलावटी दूध बनाकर मध्यप्रदेश सहित गुजरात मेंसप्लाई किया जाता है। पशुपालन विभाग के अनुसार, भिंड में 1 लाख 3 हजार 489 गाय-भैंस हैं। इनसे रोजाना 3 लाख लीटर दूध का उत्पादन होता है। जिले में रोजाना की खपत करीब 6 लाख लीटर है। ऐसे में जिले में ही करीब 3 लाख लीटर मिलावटी दूध रोजाना खपाया जा रहा है। जिले के बाहर टैंकरों से दूध सप्लाई किया जाता है। इसके अलावा मावा-पनीर-घी बनाने के लिए अलग से मिलावटी दूध बनाया जाता है।


डेयरी में मिलावटी दूध बन रहा
क्रीम निकालने के बाद बचे दूध में पानी मिलाया जाता है। दूध को सफेद करने के लिए डिटर्जेंट मिलाया जाता है। दूध में वसा बढ़ाने के लिए रिफाइंड तेल मिलाया जाता है। मिठास के लिए ग्लूकोज पाउडर मिलाते हैं। फैट बढ़ाने के लिए नाइट्रोक्स केमिकल डाला जाता है। बाद में इसे मशीन से अच्छी तरह मिलाते हैं। इस तरह से मिलावटी दूध तैयार हो जाता है।


तीन करोड़ रोज की कमाई के लालच में जहर बेच रहे
ग्रामीण इलाकों से डेयरी पर 35 से 40 रुपए लीटर के भाव में दूध भेजा जाता है। मिलावटी दूध बनाने का खर्च बमुश्किल 10-15 रुपए आता है। इस तरह डेयरियों से टैंकरों में भरकर दूध को बाहर भेजा जाता है तो उन्हें 1 लीटर दूध पर 25 रुपए तक मुनाफा होता है। इस तरह से 11 लाख लीटर मिलावटी दूध से रोजाना 2 करोड़ 75 लाख रुपए का मुनाफा होता है। एक किलो मावा या पनीर महज 90 रुपए में तैयार हो जाता है। बाजार में इसकी कीमत 175-200 रुपए किलो तक मिल जाती है। इस तरह इसमें दोगुना मुनाफा मिलता है। लगभग 10 हजार किलो मावा-पनीर पर 100 रुपए प्रति किलो के हिसाब से 10 लाख रुपए की कमाई करते हैं। मिलावटी घी की सप्लाई पूरे देश में करते हैं और एक किलो मिलावटी घी पर 200 रुपए कमाते हैं। इस तरह साढ़े सात हजार किलो घी पर करीबन 15 लाख की रोजाना कमाई करते हैं। दूध से 2 करोड़ 75 लाख, घी से 15 लाख और मावा-पनीर से 10 लाख यानी तीन करोड़ रुपए रोजाना की कमाई है। दुकानदार भी कमाई के लालच में इस रैकेट में शामिल हो जाते हैं। बाजार भाव से बहुत कम कीमत पर दूध और दूध से बने सामान मिलने से दूसरे प्रदेशों में भी मिलावटी दूध-मावा की डिमांड होती है और कारोबार बढ़ता जाता है।


पड़ोसी राज्यों में मिलावटखोरों का जाल
ऐसा नहीं है कि ये दूध, मावा, पनीर और घी के कारोबारी केवल मध्यप्रदेश में ही मिलावटी सामान बेच रहे हैं, बल्कि मध्यप्रदेश से उत्तरप्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात, राजस्थान तक इनने ब्रांच बना रखीं है। ये लोग 40 रुपए लीटर में दूध और 175 से 200 रुपए किलो में मावा-पनीर देते हैं। सस्ते के लालच में दूसरे राज्य के दुकानदार भी मिलावटी सामान के धंधे में भागीदार बन गए हैं। मिलावटी घी में दुकानदार को एक किलो में 150 से 200 रुपए की कमाई होती है, इसलिए मध्यप्रदेश के घी की डिमांड भी इन प्रदेशों में खूब ज्यादा है।


आगरा-दिल्ली में भिंड के दूध की डिमांड
भिंड के मिलावटी दूध और मावा की डिमांड उत्तरप्रदेश के आगरा के अलावा दिल्ली, जयपुर में सबसे ज्यादा है। यहां मिलावटी दूध के जरिए घी तैयार कर गुजरात और महाराष्ट्र सहित देशभर में भेजा जाता है। मावा का उपयोग इन शहरों में स्थानीय स्तर पर खपाने के लिए किया जाता है। कार्रवाई के नाम पर सिर्फ त्योहारी सीजन को चुना जाता है। इस दौरान खाद्य सुरक्षा अधिकारी नाम के लिए कार्रवाई करते हैं। रिकाॅर्ड तैयार कर मुख्यालय भेजा जाता है। इसके बाद सालभर मिलावट का खेल बेरोकटोक जारी रहता है।


भिंड में मिलावटी दूध के ठिकाने

  • भिंड में हाउसिंग कॉलोनी, कृष्णा टॉकीज के पास, इमली वाली गली, अटेर रोड, चरथर, नुन्हाटा, जामना, बाराकलां, रेलवे स्टेशन के पास, उदोतपुरा, मुरलीपुरा, जावसा, मसूरी, बवेड़ी, दबोह एवं ग्वालियर रोड पर कई जगह मिलावटी दूध तैयार होता है।
  • अटेर में विजयगढ़, बगुली, इंगुरी, नरसिंहगढ़, पावई, सियावली, पारा, बड़पुरा, रिदौली, निवाड़ी, चौम्हो, कनेरा, एेंतहार रोड पर तैयार होता है। फूफ में भदाकुर रोड, अटेर रोड, सुरपुरा, कोषण, दतावली, बरही, चांसड़ में बनता है।
  • दबोह में बरथरा, कसल, रुरई, देवरी, विश्नपुरा सहित 10 गांवों में मिलावटी दूध मावा बनता है। यहां से रोजाना 50 डलिया मावा बस के जरिए झांसी उत्तरप्रदेश भेजा जाता है।
  • गोहद के बिरखड़ी, जैतपुरा, भगवासा, खितौली आदि गांवों मंे मिलावटी दूध और मावा बनाया जाता है। मेहगांव के नुन्हाड़, बीसलपुरा सहित एक दर्जन गांवों में मिलावटी दूध और मावा का कारोबार हो रहा है।
  • गोरमी में सुनारपुरा, प्रतापपुरा सहित आधा दर्जन स्थानों पर मिलावटी दूध बनाया जा रहा है। मौ में करीब एक दर्जन स्थानों पर मिलावटी दूध मावा बन रहा है।
  • यहां रोजाना 25 क्विंटल मावा बनता है। ऊमरी में रोजाना करीब 50 क्विंटल मावा बन रहा है। मछंड में बस स्टैंड के पास और मेन बाजार में मिलावटी दूध और मावा बनाया जा रहा है।


दो महीने में 20 पर रासुका, 73 एफआईआर
खाद्य और औषधि प्रशासन के संचालक और नियंत्रक रवींद्र िसंह के मुताबिक दो महीने पहले स्वास्थ्य विभाग के साथ एसटीएफ ने भिंड और मुरैना में लाखों लीटर मिलावटी दूध और केमिकल बरामद किया। इतने बड़े पैमाने पर इस कारोबार का संचालन देखकर सरकार ने 19 जुलाई से मिलावटखोरों के खिलाफ अभियान चलाया। इस दो महीने में सरकार ने 20 मिलावटखाेरों के खिलाफ रासुका लगाई तो 73 के खिलाफ मिलावटी सामान बेचने की एफआईआर करवाई। अभियान में 5155 नमूने लिए गए।


एक भी मिलावटखोर बचे तो कहना
मध्यप्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री तुलसी सिलावट कहते हैं कि ये मिलावटखोरी पिछले 15 साल से चल रही थी, हमने तो सरकार में आने के बाद इस पर अंकुश लगाया है। देश में पहली बार ऐसा हुआ है कि हमने मिलावटी दूध बनाने वालों पर रासुका लगाई। हम मिलावटखोरी के केसों के लिए फास्ट ट्रैक कोर्ट और उम्र कैद की सजा का प्रावधान करने जा रहे हैं। शहरों से गांव की तरफ मिलावटखोर भाग गए हैं तो भी वो बचेंगे नहीं। हम घरों से पकड़कर लाएंगे।


आज ही तीन पर लगाई है रासुका
भिंड के कलेक्टर छोटे सिंह बताते हैं कि मिलावटी दूध बनाने वालों के खिलाफ शहर के साथ गांव में भी अभियान चलाया जा रहा है। भिंड में तीन मिलावटी दूध प्लांट चलाने वालों के खिलाफ 23 सितंबर को ही रासुका के आदेश किए हैं। तीन केमिकल बेचने वालों के खिलाफ भी एफआईआर करवाई गई है।



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Adulterated Milk Mawa; 700 Milk Samples Failed Purity Test In Madhya Pradesh


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