Friday, October 11, 2019

अयोध्या मामले में मुस्लिम पैरोकार जिलानी ने कहा- उलेमा भी मानते हैं कि राम को भगवान कहने में कोई बुराई नहीं

अयोध्या मामले में मुस्लिम पैरोकार जिलानी ने कहा- उलेमा भी मानते हैं कि राम को भगवान कहने में कोई बुराई नहीं

नई दिल्ली से प्रमोद कुमार त्रिवेदी. अयोध्या-बाबरी विवाद पर पूरे देश की निगाहें हैं। इस मामले में मुस्लिम पक्ष के सबसे पहले वकील जफरयाब जिलानी बताते हैं कि श्रीराम को भगवान कहना हमारे मजहब में गलत नहीं है, क्योंकि ये अल्लाह के नाम से नहीं टकराता। उन्हें भगवान कहने में भी कोई बुराई नहीं है। मुस्लिम पक्ष के पैरोकार और सुप्रीम काेर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता जफरयाब जिलानी ने भास्कर APP से इस मुद्दे पर खुलकर बात की। उन्होंने अयोध्या विवाद से जुड़े कुछ ऐसे पहलू भी बताए, जिन्होंने मंदिर-मस्जिद विवाद को राष्ट्रीय मुद्दा बना दिया।

  1. श्रीराम को भगवान मानने पर बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी के संयोजक जिलानी बताते हैं- हम तो केस में भी भगवान श्रीरामलला का नाम अदब से लेते हैं। हमारे उलेमाओं ने कहा है कि कुरान में कई पैगंबरों के नाम हैं, लेकिन श्रीराम का नाम नहीं है। लेकिन हमें श्रीराम की शख्सियत को पैगंबर की तरह ही सम्मान देना है। उलेमाओं ने ये भी कहा कि एक लाख 28 हजार पैगंबर हुए हैं और सभी का नाम कुरान में नहीं है। इसलिए श्रीराम पैगंबर हैं या नहीं, हमें इससे मतलब नहीं है। उन्हें भगवान कहने में कोई बुराई नहीं है।

  2. जिलानी बताते हैं कि हमने अपना वकालतनामा ये जानकर दाखिल नहीं किया था कि ये बाबरी मस्जिद-राम मंदिर विवाद का मामला है। दरअसल हमारे सीनियर के वकालतनामा में तीन नाम लिखे रहते थे। एस रहमान, एस मिर्जा और जेएफ जिलानी। सुन्नी वफ्फ बाेर्ड की तरफ वकालतनामा पेश होने से अनजाने में ही हम इस मामले से जुड़ गए। 1977 के पहले ये मामला इलाहाबाद हाईकोर्ट में था। तब भी हमारा वकालतनामा लगा था। 1977 में जब आदेश हुए कि अवध के 12 जिलों की सुनवाई लखनऊ में होगी तो ये मामला वहां ट्रांसफर हो गया।

  3. जिलानी कहते हैं कि 1983 तक अलग-अलग बेंच इस मामले की सुनवाई से इनकार कर चुकी थी। तब हमने 1983 में ही कोर्ट फाइल देखी कि ये क्या मामला है, जिसमें जज सुनवाई नहीं कर रहे हैं। तब हमें पहली बार मालूम हुआ कि फैजाबाद में कोई बाबरी मजस्जिद है। कोर्ट की फाइल पर लिखा हुआ था- बाबरी मस्जिद मामला। जिलानी बताते हैं कि ताला खुलवाने के समय हंगामा नहीं हुआ होता तो मस्जिद गिर भी जाती तो किसी को पता नहीं चलना था। जब मैं फैजाबाद के नजदीक रहता हूं और मुझे नहीं पता था कि फैजाबाद में बाबरी मस्जिद है तो पूरे देश में कैसे पता चलता?

  4. मुस्लिम पक्ष के पैरोकार जिलानी बताते हैं कि 1984 तक तो हमारे पास केस की फाइल भी नहीं थी। 1984 में सीतामढ़ी से कांग्रेस के एमएलसी दाऊदयाल खन्ना ने एक रथ यात्रा शुरू की। इसमें रथ में भगवान श्रीराम को कटघरे में बताया गया था। रामजन्म भूमि उद्धार समिति के नाम से चार लाेगों ने एक समिति बनाई थी। 1985 में इस मामले में विश्व हिंदू परिषद के अशोक सिंघल शामिल हुए। उस समय उत्तरप्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री श्रीपति मिश्रा ने कहा था िक ये बोतल का जिन्न है। बोतल में ही रहने दें। मुस्लिम पक्ष को 5 करोड़, कई गुना ज्यादा जगह और मस्जिद बनवाने का ऑफर भी दिया। लेकिन न तो मुस्लिम पक्ष को ये कबूल था और न ही देश के मुसलमानों को, क्योंकि ये इस्लाम के खिलाफ था।

  5. 1989 से हिंदू पक्ष की तरफ से लखनऊ हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक अयोध्या मामले की पैरवी कर रहे अधिवक्ता हरिशंकर जैन ने भास्कर APP से बातचीत में कहा कि मैंने किताबें पढ़ने के बाद इस्लाम को समझा। उसमें मंशा साफ है कि इस्लामिक शासन लाना है। गैर-इस्लामिक को समाप्त करना है। बाबरनामा में साफ लिखा है कि मैंने हिंदुओं के सिर कलम करके पिलर बनवा दिया। हिंदुस्तान तो इस्लामिक आक्रांताओं का हमेशा शिकार रहा है। स्पेन में भी इस्लामिक आक्रांताओं ने मस्जिदें बनवा दी थीं। बाद में इस्लामिक शासन समाप्त हुए तो चर्च बने। यह मैं अध्ययन और किताबों के संदर्भ से कह रहा हूं।

    DBApp



      Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
      Ayodhya Case Supreme Court Jilani Says Ulema accept Ram is Lord and Honorable


      from Dainik Bhaskar https://ift.tt/35u15Hx
      via IFTTT

via Blogger https://ift.tt/2OC7nyx
October 11, 2019 at 08:07AM

Related Posts:

0 comments:

Post a Comment

Blog Archive

Web Resource

Total Pageviews

266,371
Copyright Design jitu it's222. Powered by Blogger.

Text Widget