Tuesday, October 1, 2019

दुनिया ने हमें टेक्नोलॉजी नहीं दी; वायुसेना प्रमुख भदौरिया के लिखे कंट्रोल लॉज पर देश में ही टेक्नोलॉजी तैयार हुई

नई दिल्ली,(मुकेश कौशिक).एयर चीफ मार्शल राकेश कुमार सिंह भदौरिया ने सोमवार को वायुसेना प्रमुख का पदभार संभाल लिया। उन्होंने बीएस धनोआ की जगह ली है। एयर चीफ मार्शल भदौरिया के साथ 36 साल काम करने वाले एयर वाइस मार्शल सुनील नानोदकर ने अपने कुछ अनुभव भास्कर के साथ शेयर किए हैं।

नानोदकर कहतेहैं कि "एयरचीफ मार्शलभदौरिया के रूप में वायुसेना को बेहद तेज दिमाग मिला है। मैं उनके साथ बिताए 36 साल के अनुभव से कह सकता हूं कि वह बहुत शांत रहकर मुश्किल से मुश्किल काम कर लेते हैं। भारत पर प्रतिबंधों के कारण हमें फ्लाई बाय वायर टेक्नोलॉजी नहीं मिल पाई थी। इस टेक्नोलॉजी के लिए कंट्रोल लॉज लिखना सबसे मुश्किल था। इससे पायलट सहजता से सारे कंट्रोल कर पाता है।"

आगरा एक्सप्रेस-वे पर मिराज उतारने का मिशन भी पूरा किया

"भदौरिया ने सारे कंट्रोल लॉज खुद लिखे और उसके बाद देश में ही फ्लाई बाय वायर टेक्नोलॉजी विकसित हो पाई। आगरा एक्सप्रेस-वे पर लड़ाकू विमान उतारने के लिए भी लॉजिस्टिक्स की तमाम बाधाएं थीं। भदौरिया ने बहुत कम समय में सारी परेशानियों को हल कर दिया और एक्सप्रेस-वे पर मिराज उतारने का मिशन पूरा किया।"

मेड इन इंडिया में यकीन रखते हैं भदौरिया

"तेजस का टेस्ट पायलट होने के नाते वह स्वदेशी के पक्षधर हैं। वह मेक इन इंडिया के बजाए मेड इन इंडिया में यकीन रखते हैं। खास बात यह है कि भदौरिया शुरू से अब तक हर इम्तिहान में प्रथम आते रहे हैं। एनडीए से लेकर एयरफोर्स एकेडमी और पायलट इंस्ट्रक्शन से लेकर विदेशी कोर्स तक में वे प्रथम रहे हैं। काम के बहुत ज्यादा दबाव में भी वह सामान्य ही रहते हैं।"

भदौरिया ने ही पहली बार जीपीएस से बमबारी का प्रयोग किया था

एयर चीफ मार्शल भदौरिया ने करगिल जंग के दौरान कम्प्यूटर की प्रोग्रामिंग बदलकर सटीक बमबारी कराई थी। करगिल युद्ध में पाक ने स्ट्रिंगर मिसाइलें तैनात की थीं। जबकि, हमारे जगुआर विमान की बमबारी की कम्प्यूटर प्रणाली उनसे निपटने के लिहाज से नहीं बनी थी। भदौरिया ने इसकी प्रोग्रामिंग बदल डाली और जीपीएस की मदद से पहली बार जगुआर से सटीक बमबारी करवाई।

वायुसेना के 26वें प्रमुख, 26 तरह के विमान उड़ा चुके हैं
भदौरिया वायुसेना के 26वें प्रमुख हैं। 1980 में लड़ाकू दल में शामिल हुए थे। 26 तरह के लड़ाकू विमान उड़ाए हैं और उन्हें 4,250 घंटे तक विमान उड़ाने का अनुभव है।

एयर स्ट्राइक के लिए याद रहेगा धनोओ का कार्यकाल
41 साल की सेवा के बाद वायुसेना प्रमुख के पद से रिटायर हुए बीएस धनोआ का कार्यकाल पाकिस्तान के बालाकोट स्थित जैश ए मोहम्मद के ठिकाने पर एयर स्ट्राइक के लिए याद किया जाएगा। इस कार्रवाई की योजना बनाने और उसे अंजाम देने में धनोआ ने अहम भूमिका निभाई थी।

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आरकेएस भदौरिया ने करगिल जंग के दौरान कम्प्यूटर की प्रोग्रामिंग बदलकर सटीक बमबारी कराई थी।-फाइल
एयर वाइस मार्शल सुनील नानोदकर।-फाइल


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