भारतीयों के पास 70 लाख करोड़ का सोना, ये देश के 2 साल के बजट से भी ज्यादा

नई दिल्ली. धनतेरस और दिवाली का त्योहार आते ही देश में सोने की मांग बढ़ जाती है। भले ही इस बार कीमतें ज्यादा होने के कारण मांग कम रहने की संभावनाहै। लेकिन, देश में सोने की जितनी सालाना मांग रहती है, वह वैश्विक मांग की एक चौथाई है। वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल के प्रबंध निदेशकसोमसुंदरम पीआर ने दैनिक भास्कर APP को बताया कि भारतीय घरों और मंदिरों में 24000 से 25000 टन सोना मौजूद है, जिसकी कीमत 1 ट्रिलियन डॉलर (करीब 70 लाख करोड़ रुपए) है। उनके मुताबिक, दुनियाभर में मौजूद कुल गोल्ड स्टॉक का 15% सिर्फ भारतीय घरों और मंदिरों में है। अमेरिकी के केंद्रीय बैंक में 8,133.5 टन सोना है, जो भारतीयों के पास मौजूद सोने से करीब 3 गुना कम है।
9 साल में दुनिया का गोल्ड स्टॉक 15% बढ़ा
देश में सोने का उत्पादन 0.5% से भी कम, लेकिन मांग 25% से भी ज्यादा
- चीन के बाद भारत दुनिया में सोने का सबसे बड़ा बाजार है। हालांकि, हमारे यहां सोने का उत्पादन 0.5% से भी कम होता है। लेकिन, डिमांड कुल वैश्विक मांग की 25% से भी ज्यादा है। सोमसुंदरम के मुताबिक पिछले 10 साल का ट्रेंड बताता है कि भारत में सालाना 800 से 900 टन सोने की मांग रहती है।
- सोमसुंदरम कहते हैं कि आने वाले 5 से 10 साल में भारत में सोने की मांग और बढ़ेगी। क्योंकि, अब भारत की जीडीपी और प्रति व्यक्ति आय तेजी से बढ़ रही है। इससे ज्यादा से ज्यादा लोगों को गरीबी से बाहर आने में मदद मिल रही है। इस वजह से आने वाले समय में भारत में ज्यादातर लोग गरीबी रेखा से उठकर मध्यम वर्ग में आ जाएंगे और यही लोग भविष्य में सोने की मांग बढ़ाएंगे।
गोल्ड डिमांड ट्रेंड्स
घरों-मंदिरों में जितना सोना, वह 2 साल के बजट के बराबर
भारतीय घरों और मंदिरों में जितनी कीमत का सोना मौजूद है, वह देश के 2 साल के बजट से भी ज्यादा है। 2019-10 का बजट का 27,86,349 करोड़ रुपए है। इसके अलावा, टॉप-100 अमीर भारतीयों के पास भी 32.19 लाख करोड़ रुपए है, जबकि भारतीयों के पास ही 70 लाख करोड़ रुपए का सोना है।
भारत में सोने की इतनी मांग क्यों?
- एक जमाने में भारत को सोने की चिड़िया कहा जाता था, क्योंकि यहां सबसे ज्यादा सोना हुआ करता था। आज भी कई देशों की जीडीपी के बराबर सोना भारतीय घरों और मंदिरों में रखा हुआ है। लेकिन, हमारे देश में सोने की इतनी ज्यादा मांग का कारण क्या है? इस बारे में सोमसुंदरम बताते हैं कि सोना ही एकमात्र ऐसी संपत्ति है, जो आमतौर पर घर की महिला के पास ही रहती है और इससे महिलाओं को वित्तीय स्वतंत्रता मिलती है।
- भारत में ऐतिहासिक रूप से सोने की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। देश में सोने की ज्यादा मांग होने के यह कारण भी हैं कि सोने को सुरक्षित घरेलू बचत के तौर पर रखा जाता है, जिससे महंगाई से निपटने में मदद मिलती है।
- जरूरत पड़ने पर सोने के बदले लोन भी लिया जा सकता है। सोना रखकर कृषि या गैर-कृषि ऋण आसानी से मिल जाता है। इन सबके अलावा घर में सोना रखने से सामाजिक परंपरा और सांस्कृतिक संबंध भी बना रहता है।
टॉप-10 देश जहां के केंद्रीय बैंक में सबसे ज्यादा सोना है
(आंकड़े जून 2019 तक, सोर्स - वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल)
भारत में सोने की मांग बढ़ने के कारण
1) शादी : भारत में सोने की 50% से ज्यादा मांग शादियों पर निर्भर करती है। देश में 25 साल से कम उम्र की 45% से ज्यादा आबादी रहती है और सालाना औसतन 1 करोड़ शादियां होती हैं। अगर औसत निकालें तो एक दुल्हन के लिए 200 ग्राम तक की ज्वेलरी खरीदी जाती है।
2) सेविंग्स रेट (बचत दर) : आईएमएफ को भारत में 2020 तक बचत दर 30% रहने की उम्मीद है। इसके बाद काम करने वालों की संख्या बढ़ने की संभावना भी है। संपत्ति के तौर पर भारतीयों के बीच बैंक डिपॉजिट के बाद सोना दूसरी पसंद है।
3) आर्थिक विकास : भारत में 25 करोड़ से ज्यादा लोग बचत करते हैं और उनकी बचत सोने से शुरू होती है। इसलिए आर्थिक विकास और लोगों की समृद्धि बढ़ने पर सोने की मांग बढ़ सकती है, जिससे आयात भी बढ़ेगा।
4) आय : प्रति व्यक्ति आय 1% बढ़ती है तो सोने की मांग भी 1% तक बढ़ जाती है। इसके अलावा शहरीकरण भी तेजी से हो रहा है, जिससे लोगों की आय बढ़ रही है।
5) सोने की कीमत : अगर सोने की कीमत 1% बढ़ती है, तो इसकी मांग 0.5% तक गिर जाती है। इसी तरह से सोने की कीमत 1% कम होती है तो मांग में 0.9% तक का इजाफा होता है। हालांकि, 2005 से 2015 के बीच 10 गुना कीमतें बढ़ने के बाद भी भारत में सोने की मांग 14% की सालाना दर से बढ़ी।
6) महंगाई : अगर महंगाई 1% बढ़ती है तो सोने की मांग में 2.6% इजाफा हो जाता है। दुनियाभर के निवेशक महंगाई से निपटने के लिए सुरक्षित निवेश के तौर पर सोने में पैसा लगाते हैं। ताकि, कम जोखिम में अच्छा रिटर्न मिल सके।
7) मानसून : सामान्य से 1% ज्यादा बारिश होने पर सोने की मांग 0.5% बढ़ जाती है। क्योंकि, मानसून कृषि क्षेत्र के लिए महत्वपूर्ण है। अच्छे मानसून से पैदावार बढ़ती है तो ग्रामीण अर्थव्यवस्था में तेजी आती है। इससे सोने की मांग बढ़ती है।
ट्रेड वॉर और अनिश्चितता का माहौल, फिर भी सोना सुरक्षित निवेश
- सोमसुंदरम बताते हैं कि सितंबर में गोल्ड से जुड़े फंड और दूसरे प्रोडक्ट में दुनियाभर में 3.9 अरब डॉलर का निवेश हुआ। इससे दुनिया में सोने की होल्डिंग 75.2 टन बढ़कर 2,808 टन पहुंच गई। यह अब तक का सबसे उच्च स्तर है। इस वक्त सोने की मांग से जुड़े कई सकारात्मक कारक हैं। इनमें ट्रेड वॉर और राजनीतिक अस्थिरता जैसी वजह शामिल हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के खिलाफ महाभियोग जांच बैठाने की बात चल रही है। ऐसा हुआ तो चीन अमेरिका से ट्रेड डील में देरी करेगा। वह 2020 में होने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव तक डील टाल सकता है। ब्रेग्जिट को लेकर भी अनिश्चितता का माहौल है।
- इनके अलावा दुनियाभर में ब्याज दरें भी कम हैं। वहीं, अमेरिकी शेयर बाजार उच्च स्तरों पर हैं। पिछले सालों के रिकॉर्ड से पता चलता है कि अक्टूबर महीने में अमेरिकी बाजार में तेज गिरावट आती है। पिछले साल अक्टूबर में एसएंडपी 500 इंडेक्स में 7% गिरावट आई थी। दूसरी ओर डॉलर के लगातार मजबूत होने और सोना सस्ता होने की वजह से भारत और चीन में सोने की मांग में तेजी आ सकती है। सभी तरह की वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच सुरक्षित निवेश के तौर पर सोने में पैसा लगाने की सोच को समर्थन मिलता है।
हम दूसरे बड़े कंज्यूमर, लेकिन हमारे यहां सोने को लेकर व्यापक नीति नहीं
- सोमसुंदरम ने बताया कि सोने का घर की समृद्धि और देश की संपत्ति में योगदान है। महंगाई से मुकाबले के लिए और नीतिगत मुद्दों की वजह से करंसी में उतार-चढ़ाव से निपटने के लिए सोने में निवेश सबसे अच्छा माध्यम है। यहां तक कि केंद्रीय बैंक भी एसेट्स में विविधता के लिए सोना खरीदते हैं। सोने के बहुत से फायदे हैं। गोल्ड मार्केट में हजारों कारीगरों और अन्य लोगों को रोजगार मिलता है। भारत एकमात्र ऐसा देश है जहां 75% ज्वेलरी हाथ से बनाई जाती है। वित्तीय संस्थान सोने के बदले लोन देते हैं।
- भारत में सोने को लेकर व्यापक नीति वाला नजरिया नहीं है। इस तरह हम दुनिया का दूसरा बड़ा गोल्ड कंज्यूमर होने और सदियों पुरानी कुशल कारीगरी की क्षमताओं को कमजोर बना रहे हैं। गोल्ड ट्रेडिंग शुरू करने के करीब 30 साल बाद भी हमारा अपना स्पॉट गोल्ड एक्सचेंज नहीं है। हॉलमार्किंग अभी तक अनिवार्य नहीं की गई है। यह सोने की शुद्धता से जुड़ा बड़ा मुद्दा है। सोने को कारोबार की मुख्यधारा में लाने के लिए पर्याप्त कदम नहीं उठाए गए। इसकी इमेज लगातार एसेट क्लास वाली बनी हुई है। सोने का रोजगार और जीडीपी में सकारात्मक असर का पर्याप्त अध्ययन नहीं हुआ है।
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