Sunday, October 6, 2019

1800 करोड़ में तेलंगाना के यदाद्री मंदिर का पुनर्निर्माण, 1753 टन चांदी से दीवारें मढ़ने की योजना

1800 करोड़ में तेलंगाना के यदाद्री मंदिर का पुनर्निर्माण, 1753 टन चांदी से दीवारें मढ़ने की योजना
1800 करोड़ में तेलंगाना के यदाद्री मंदिर का पुनर्निर्माण, 1753 टन चांदी से दीवारें मढ़ने की योजना

हैदराबाद. 2014 में आंध्र प्रदेश से अलग होने के बाद तेलंगाना में एक कमी थी। प्रसिद्ध तिरुमाला तिरुपति मंदिर आंध्र के हिस्से में था। तेलंगाना सरकार ने इस कमी को पूरा करने के लिए पौराणिक महत्व के यदाद्री लक्ष्मी-नृसिंह मंदिर को 1800 करोड़ रुपए की लागत से तिरुपति की तर्ज पर भव्य रूप दे दिया है। इसे यदाद्रीगिरीगुट्टा मंदिर भी कहा जाता है। दिसंबर 2019 में तेलंगाना को अपना “तिरुपति” मंदिर मिल जाएगा। हैदराबाद से करीब 60 किमी दूर यदाद्री भुवनगिरी जिले में मौजूद लक्ष्मी-नृसिंह मंदिर का रिकॉर्ड 3 साल में कायाकल्प किया गया है। इसके लिए इंजीनियरों और आर्किटेक्ट्स ने करीब 1500 नक्शों और योजनाओं पर काम किया। 2016 में इसकी योजना को मंजूरी मिली थी।


यदाद्री लक्ष्मी-नृसिंह मंदिर का उल्लेख 18 पुराणों में से एक स्कंदपुराण में मिलता है। हजारों साल पुराने इस मंदिर का क्षेत्रफल करीब 9 एकड़ था। मंदिर के विस्तार के लिए 300 करोड़ में 1900 एकड़ भूमि अधिग्रहित की गई। इसकी भव्यता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि मंदिर में 39 किलो सोने और करीब 1753 टन चांदी से सारे गोपुर (द्वार) और दीवारें मढ़ी जाएंगी। इसकी योजना पर काम चल रहा है। मंदिर की पूरी परिकल्पना हैदराबाद के प्रसिद्ध आर्किटेक्ट आनंद साईं की है।


तेलंगाना सरकार का ड्रीम प्रोजेक्ट
यदाद्री मंदिर पहाड़ी पर मौजूद है। यह तेलंगाना के लिए ड्रीम प्रोजेक्ट है। इसके लिए तेलंगाना की केसीआर सरकार ने 1800 करोड़ रुपए की मंजूरी दी थी। इस मंदिर के पूरा होने के बाद सरकार यहां भारी संख्या में पर्यटकों के आने की उम्मीद कर रही है। मंदिर तक पहुंचने के लिए हैदराबाद सहित सभी बड़े शहरों से जोड़ने के लिए फोरलेन सड़कें तैयार की जा रही हैं। मंदिर के लिए अलग से बस-डिपो भी बनाए जा रहे हैं। इसमें यात्रियों से लेकर वीआईपी तक सारे लोगों की सुविधाओं का ध्यान रखते हुए कई तरह की व्यवस्थाएं होंगी। यात्रियों के लिए अलग-अलग तरह के गेस्ट हाउस का निर्माण किया गया है। वीआईपी व्यवस्था के तहत 15 विला भी बनाए गए हैं। एक समय में 200 कारों की पार्किंग की सुविधा भी रहेगी।


156 फीट ऊंची तांबे की हनुमान प्रतिमा
यदाद्री मंदिर के पास ही मुख्य द्वार के रूप में भगवान हनुमान की एक खड़ी प्रतिमा का निर्माण किया जा रहा है। इस मंदिर में लक्ष्मी-नृसिंह के साथ ही हनुमान का मंदिर भी है। इस कारण हनुमान को मंदिर का मुख्य रक्षक देवता माना गया है। इस प्रतिमा को करीब 25 फीट के स्टैंड पर खड़ा किया जा रहा है। प्रतिमा कई किमी दूरी से दिखाई देगी। मंदिर की भव्यता का अंदाजा पर्यटकों को इस प्रतिमा की ऊंचाई से हो जाएगा।


भगवान नृसिंह के इस मंदिर में तीन रूप
स्कंदपुराण में कथा है कि महर्षि ऋष्यश्रृंग के पुत्र यद ऋषि ने यहां भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए तपस्या की थी। उनके तप से प्रसन्न विष्णु ने उन्हें नृसिंह रूप में दर्शन दिए थे। महर्षि यद की प्रार्थना पर भगवान नृसिंह तीन रूपों ज्वाला नृसिंह, गंधभिरंदा नृसिंह और योगानंदा नृसिंह में यहीं विराजित हो गए। दुनिया में एकमात्र ध्यानस्थ पौराणिक नृंसिंह प्रतिमा इसी मंदिर में है।


गुफा में मौजूद है नृंसिंह की तीनों प्रतिमाएं
भगवान नृसिंह की तीनों प्रतिमाएं एक गुफा में हैं। साथ में माता लक्ष्मी भी हैं। करीब 12 फीट ऊंची और 30 फीट लंबी इस गुफा में भगवान की तीनों प्रतिमाएं मौजूद हैं। इसके साथ ही आसपास हनुमान और अन्य देवताओं के भी स्थान हैं। मंदिर का पुनर्निर्माण वैष्णव संत चिन्ना जियार स्वामी के मार्गदर्शन में शुरू हुआ है। मंदिर का सारा निर्माण कार्य आगम, वास्तु और पंचरथ शास्त्रों के सिद्धांतों पर किया जा रहा है, जिनकी दक्षिण भारत के खासी मान्यता है। इस गुफा में एक साथ 500 लोग दर्शन कर सकेंगे।


सबसे ऊंचा होगा राजगोपुरम, 5 सभ्यताओं की झलक
मंदिर का मुख्य द्वार, जिसे राजगोपुरम कहा जाता है, करीब 84 फीट ऊंचा होगा। इसके अलावा मंदिर के 6 और गोपुर होंगे। राजगोपुरम के आर्किटेक्चर में 5 सभ्यताओं द्रविड़, पल्लव, चौल, चालुक्य और काकातिय की झलक मिलेगी।

तिरुपति की तरह लड्डू प्रसादम् कॉम्प्लेक्स
तिरुपति की तरह ही यदाद्री मंदिर में भी लड्डू प्रसादम् मिलेगा। इसके लिए अलग से एक कॉम्प्लेक्स तैयार किया जा रहा है, जहां लड्डू प्रसादम् के निर्माण से लेकर पैकिंग की व्यवस्था भी होगी।


क्यू कॉम्प्लेक्स में कैफेटेरिया जैसी सुविधाएं
मंदिर में दर्शन के लिए क्यू कॉम्पलेक्स बनाया जा रहा है। इसकी ऊंचाई करीब 12 मीटर होगी। इसमें रेस्टरूम सहित कैफेटेरिया की सुविधाएं होंगी। इसे पर्यटकों के लिए ज्यादा से ज्यादा सुविधाजनक बनाने पर काम चल रहा है। अन्नप्रसाद के लिए भी पूरी व्यवस्था होगी। रोज लगभग 10 हजार लोगों के लिए खाना तैयार होगा। इसके अलावा मंदिर परिसर में अलग-अलग जगह अन्न प्रसाद के काउंटर लगाए जाएंगे।


1000 साल तक मौसम की मार झेल सकने वाले पत्थर
मंदिर के निर्माण के लिए जिन पत्थरों का उपयोग किया गया है, वे हर तरह के मौसम की मार झेल सकते हैं। उनके मूल स्वरूप में कोई परिवर्तन नहीं होगा। लगभग 1000 साल तक ये पत्थर यथावत स्थिति में रह सकें, इसका विशेष ध्यान रखा गया है।


दिसंबर में काम पूरा होगा, फरवरी में महायज्ञ
मंदिर का सारा काम दिसंबर 2019 तक पूरा करने का लक्ष्य है। इसके बाद इसमें एक बड़े यज्ञ का आयोजन किया जाना है, जो इसके उद्घाटन समारोह जैसा होगा। ये यज्ञ संभवतः फरवरी में हो सकता है। इसके लिए बड़े स्तर पर तैयारियां जारी हैं।


ये रेस अगेंस्ट टाइम जैसा था - आनंद साईं
मंदिर के मुख्य आर्किटेक्ट आनंद साईं के मुताबिक इस मंदिर का काम रिकॉर्ड समय में पूरा किया जा रहा है। इतने बड़े प्रोजेक्ट का इतने कम समय में पूरा होना मेरे लिए “रेस अगेंस्ट टाइम” जैसा था। मंदिर के निर्माण में श्रेष्ठतम काम हो, इसके लिए हमने अलग-अलग तरीकों से लगभग 1500 प्लांस बनाए थे। इनमें से बेस्ट प्लान हमने मंदिर में लगाया है। यह मंदिर भारत के श्रेष्ठतम मंदिरों में से एक होगा। ग्रेनाइट से बनने वाला भारत का यह सबसे बड़ा मंदिर होगा।

आनंद साईं दक्षिण भारत के ख्यात आर्किटेक्ट हैं। दक्षिण भारत की कई फिल्मों में आर्ट डायरेक्शन भी कर चुके हैं। पिछले एक दशक से मंदिरों के निर्माण से जुड़े हैं। वे भारत के पहले ऐसे आर्किटेक्ट हैं जो इतने बड़े प्रोजेक्ट को अकेले ही डिजाइन और मॉनीटर कर रहे हैं।



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Yadadri Yadagirigutta Lakshmi Narasimha Mandir; Interesting Facts about Lakshmi Narasimha Temple Yadadri Telangana


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